चुनाव आयोग को चुनाव के बाद ईवीएम मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर को जलाने की प्रक्रिया के बारे में अदालत को जानकारी देनी होगी नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज एक याचिका के जवाब में पूछा कि मतदान खत्म होने के बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया क्या है, जिसमें वोटों की गिनती खत्म होने के बाद भी मशीनों से डेटा डिलीट न करने की मांग की गई है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि फिलहाल ईवीएम से कोई डेटा डिलीट न करें और न ही डेटा को रीलोड करें। चुनाव आयोग को चुनाव के बाद ईवीएम मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर को जलाने की प्रक्रिया के बारे में अदालत को जानकारी देनी होगी मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “यह विरोधात्मक नहीं है।”
उन्होंने कहा, “अगर हारने वाला उम्मीदवार स्पष्टीकरण चाहता है, तो इंजीनियर स्पष्टीकरण दे सकता है कि कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है।” शीर्ष अदालत को बताया गया कि बीईएल (भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड) के इंजीनियरों ने ईवीएम में डमी सिंबल और डेटा लोड किया था और मूल मशीन का डेटा क्लियर हो गया था।
सीजेआई खन्ना ने चुनाव आयोग से पूछा कि डेटा क्यों साफ किया गया और आदेश दिया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि ईवीएम डेटा नष्ट न हो।
कोर्ट की यह टिप्पणी एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), हरियाणा और कांग्रेस नेताओं के एक समूह की याचिका पर सुनवाई के दौरान आई। याचिकाओं में मांग की गई है कि कोर्ट आयोग को ईवीएम घटकों की मूल जली हुई मेमोरी/माइक्रोकंट्रोलर की जांच के लिए नीति बनाने का निर्देश दे।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि ईवीएम की जली हुई मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर को इंजीनियरों द्वारा सत्यापित किया जाए ताकि यह साबित हो सके कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है।
अगली सुनवाई 17 मार्च को होगी।