जमशेदपुर, 8 अप्रैल: झारखंड राज्य विश्वविद्यालय अनुबंध शिक्षक संघ (JSUCTA) के प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार पांडेय ने राज्य सरकार से विश्वविद्यालय शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितताओं को दूर करने का आग्रह किया है। कड़े शब्दों में दिए गए बयान में पांडेय ने बताया कि झारखंड भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों और संबद्ध कॉलेजों में नियमित और बैकलॉग पदों के लिए 2018 में एक ही विज्ञापन जारी किया गया था, जिसके कारण हजारों योग्य उम्मीदवारों ने आवेदन किया था।
हालांकि, कई वर्षों के बाद भी, लगभग आधे विषयों में ही नियुक्तियां पूरी हो पाई हैं। पांडेय ने इस लंबी देरी की निष्पक्षता पर सवाल उठाया, जिसमें नियुक्ति वर्षों में असमानता को उजागर किया गया – 2021 से 2024 तक – जबकि सभी आवेदन एक ही 2018 के विज्ञापन के तहत किए गए थे।
“तीन से पांच साल का यह अंतर पहले नियुक्त किए गए लोगों को अनुचित वरिष्ठता देता है, जबकि अन्य को अपरिवर्तनीय कैरियर का नुकसान होता है। क्या सरकार इस खोए हुए समय की भरपाई करेगी?” उन्होंने पूछा। उन्होंने आगे कहा कि कई जरूरतमंद शिक्षक 2018 से ही कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में काम कर रहे हैं और उन्होंने उसी जेपीएससी विज्ञापन के तहत आवेदन भी किया था। पांडे ने सरकार से इन शिक्षकों को उस विज्ञापन के तहत पहली नियुक्ति की तारीख से नियमित करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी सभी नियुक्तियाँ यूजीसी के मानदंडों और राज्य के आरक्षण रोस्टर के अनुसार की गई थीं। भविष्य में वरिष्ठता संबंधी विवादों से बचने के लिए उन्होंने सरकार से नीतिगत स्तर पर समाधान की अपील की और मामले को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने का आग्रह किया।